अनुक्रमणिका

राग बहार लेबल असलेली पोस्ट दाखवित आहे. सर्व पोस्ट्‍स दर्शवा
राग बहार लेबल असलेली पोस्ट दाखवित आहे. सर्व पोस्ट्‍स दर्शवा

राग बहार Raag Bahar

आरोह-अवरोह

सा रे सा म ; प म ग१ म ; ध नि सा' 

सा' नि१ प म ; ग१ म रे सा ; ,नि सा;  


स्वर लिपि

स्वर आरोह में रिषभ और पंचम वर्ज्य। अवरोह में धैवत वर्ज्य। गंधार कोमल, निषाद दोनों। शेष शुद्ध स्वर।

जाति औढव - षाढव वक्र

थाट काफी

वादी/संवादी मध्यम/षड्ज

समय रात्रि का दूसरा प्रहर या वसंत व शरद ऋतु में हर समय गाया जा सकता है।

विश्रांति स्थान सा; म; प; - सा'; म; रे;

मुख्य अंग सा म ; प म ग१ म ; ,नि१ प म ; म नि१ ध नि सा' ; नि१ प म ; प म ; ग१ म रे सा ;


Raag Bahar

Swar Notations

Swaras Rishabh and Pancham Varjya in Aaroh, Dhaivat Varjya in Avroh. Gandhar Komal, Both Nishads. Rest All Shuddha Swaras.

Jati Audhav - Shadhav Vakra

Thaat Kafi

Vadi/Samvadi Madhyam/Shadj

Time 2nd Prahar of the Night (9PM to 12AM) or Anytime in Spring Season.

Vishranti Sthan S; m; P; - S'; m; R;

Mukhya-Ang S m ; P m g m ; n P m ; m n D N S' ; n P m ; P m ; g m R S;

Aaroh-Avroh S R S m P m g m D N S' - S' n P m g m R S ,N S;