आरोह-अवरोह
सा ग म् ध१ नि सा'
सा' नि ध१ प म् ग म् नि ध१ म् ग रे१ सा;
स्वर लिपि
स्वर आरोह में रिषभ और पंचम वर्ज्य। मध्यम तीव्र। रिषभ और धैवत कोमल। शेष शुद्ध स्वर। शुद्ध मध्यम का उपयोग कभी कभी - सा म म ग - ऐसे किया जाता है।
जाति औढव - सम्पूर्ण वक्र
थाट पूर्वी
वादी/संवादी तार षड्ज/पंचम
समय रात्रि का दूसरा प्रहर या वसंत ऋतु में हर समय गाया जा सकता है।
विश्रांति स्थान ग; सा; - सा'; प; ग;
मुख्य अंग सा म म ग ; म् ध१ नि ध१ प ; म् ध१ प ; म् ग म् ग ; म् नि ध१ म् ग रे१ सा ; म् ध१ रे१' सा';
Raag Basant
Swar Notations
Swaras Rishabh and Pancham Varjya in Aaroh. Rishabh and Dhaivat Komal, Madhyam Teevra. Rest All Shuddha Swaras.
Jati Audhav - Sampurna Vakra
Thaat Poorvi
Vadi/Samvadi Tar Shadj/Pancham
Time Second Prahar of the Night or Anytime in Spring Season.
Vishranti Sthan S; G; - S'; P; G;
Mukhya-Ang M d r' S' ; N S' r' N d P ; G M d N M G ; M d G M G ; M G M G r S ;
Aaroh-Avroh S G M d N S' - S' N d P M G M N d M G r S;